- Hindi News
- National
- Luxury Life Can Stop Restraint
भोग-विलास की वृत्ति को संयम से मात दें
- कॉपी लिंक
- जीने की राह कॉलम पं. विजयशंकर मेहता जी की आवाज में मोबाइल पर सुनने के लिए टाइप करें JKR और भेजें 9200001164 पर
युगों से यह बात सही साबित हो रही है कि इंसान नहीं बदलता, वक्त, वातावरण और हालात बदलते जाते हैं। फिर उस दौर के लोग बदले-बदले नज़र आते हैं। पारिवारिक षड्यंत्र, मानवीय संबंधों का दुरुपयोग, ये सब युगों पहले भी था और आज भी है। कितना ही दौर बदले, मनुष्य को जब-जब ऐसे विपरीत हालात मिलेंगे, वह वैसा होता जाएगा। तो यह कहना कि पुराने जमाने के लोग बहुत अच्छे थे और आज के खराब हैं, आधा सच होगा।
जैसा जमाना होगा, वैसे लोग मिलेंगे। हर दौर मंे अच्छे-बुरे दोनों तरह के लोग रहे हैं। आज लगभग सभी लोग एक बहुत बड़ी बीमारी से परेशान हैं- सार्वजनिक रूप में भोग-विलास की वृत्ति। श्रीराम के युग में मेघनाद इसका प्रतीक था। लंका के युद्ध में एक दृश्य पर तुलसीदासजी ने लिखा, ‘मेघनाद तहॅ करइ लराई। टूट न द्वार परम कठिनाई।।
पश्चिम द्वार पर मेघनाद हनुमानजी से युद्ध कर रहा था। वह द्वार टूट नहीं पा रहा था, हनुमानजी को बड़ी कठिनाई हो रही थी। विचार कीजिए, उस समय भोग-विलास की वृत्ति हनुमानजी से टकरा रही थी और उन्हें भी बड़ी ताकत लग रही थी। यदि आज सामान्य मनुष्य को भोग के विचार, विलास की वृत्ति परेशान करें तो जो काम हनुमानजी ने किया वैसा ही हम भी करें कि संयम से ही इनसे निपटा जाए। तो दौर कैसा भी हो, अच्छाई और बुराई सदैव जीवित रहेगी। जब आप सदगुणों को विजयी बनाएंगे तो वह दौर अच्छा हो जाएगा। जब दुर्गुण जीतेंगे तो कैसा भी दौर हो, आपके लिए खराब साबित हो सकता है।