दूसरों के धन से नहीं बनता कभी कोई अमीर : अजित मुनि
संगरूर जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए संघ संचालक नरेश मुनि महाराज के आज्ञानुवर्ति प्रवचन भास्कर अजित मुनि महाराज ने कहा कि जो लोग झूठ बोलते हैं, जीवों को सताते हैं, रूप व सौंदर्य के प्रति वफादार नहीं रहते, वह लोग ओलावृष्टि के समान होते हैं। जो न तो खुद अपनी रक्षा कर पाते हैं व न ही दूसरों की। ऐसे लोग राक्षस वृत्ति वाले होते हैं तथा हर समय दूसरों का धन, यौवन, सौंदर्य को लूटने की योजनाएँ बनाते रहते हैं।
जागरण संवाददाता, संगरूर :
जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए संघ संचालक नरेश मुनि महाराज के आज्ञानुवर्ति प्रवचन भास्कर अजित मुनि महाराज ने कहा कि जो लोग झूठ बोलते हैं, जीवों को सताते हैं, रूप व सौंदर्य के प्रति वफादार नहीं रहते, वह लोग ओलावृष्टि के समान होते हैं। जो न तो खुद अपनी रक्षा कर पाते हैं व न ही दूसरों की। ऐसे लोग राक्षस प्रवृत्ति वाले होते हैं तथा हर समय दूसरों का धन, यौवन, सौंदर्य को लूटने की योजनाएं बनाते रहते हैं। ऐसे लोग ¨जदगी में कभी भी आगे नहीं बढ़ सकते। याद रखना कि दूसरों के धन से कभी गुजारा नहीं होता न ही दूसरों का धन लूट कर अमीर बना जा सकता है। जो व्यक्ति हर समय तृष्णा के वसीभूत होकर मांगता रहता है, वह भिखारी के समान है याद रखना भिखारी कभी अमीर नहीं हो सकता। आज हम अपने लड़कों की शादी में दहेज मांग कर भिखारी बनते जा रहे हैं जो विनाश का कारण बनता है। अजित मुनि महाराज ने कहा कि जब तक हम संग्रह, परिग्रह व लालच की भावना से मुक्त नहीं होंगे, तब तक हम अमृत रूपी संतोष को ग्रहण नहीं कर सकते। जब तक हम अपने बच्चों को धन देते रहेंगे, हमारा बच्चा निठ्ठला बनता चला जाएगा। हम अपने बच्चों को पैसा कमाने का हुनर सिखाना होगा। एक बार महात्मा गांधी को किसी व्यक्ति ने पूछा कि आप कमीज क्यों नहीं पहनते, मैं ला कर के दूं तो महात्मा गांधी ने कहा कि केवल मेरे लिए नहीं, भारत देश के लाखों लोग गरीब हैं या जो उन सबके लिए भी ला दो, अन्यथा मैं तब तक कमीज नहीं पहनूंगा, जब तक हर भारतीय अमीर यानी रोटी-कपड़ा व मकान नहीं मिल जाता। हमारी वृत्ती महात्मा गांधी की तरह संतोष वृत्ति वाली होनी चाहिए। जो लोग संतोष वृत्ति वाले पर नारी को मां बहन समझने वाले तथा दूसरों के धन को मिट्टी समझते हैं, उनके हृदय में भी राम वास करते हैं। हमें महापुरुषों के दिखाए मार्ग पर चलकर अपना जीवन सफल बनाना होगा।
मधुर वक्ता नवीन मुनि महाराज ने कहा कि आत्मा ज्ञान का खजाना है, जो हमारे भीतर है, हम उसे बाहर ढूंढ रहे हैं। अगर हम महापुरुषों की वाणी को श्रद्धा, भाव से सुनेंगे तो हमारे जीवन में अवश्य परिवर्तन आएगा। आयमल की लंबी तपस्या में तुषार गोयल आज 26वें आयमल में प्रवेश कर मास खमन के बिल्कुल करीब पहुंच चुका है। इकाश्ने की तपस्या में जीवन जैन ने 57, शकुंतला जैन ने 51, अतुल गोयल 38 दिन में प्रवेश कर चुके हैं।