युवाओं में बढ़ती हिंसक वृत्ति को लेकर लंबे समय से चिंता जताई जाती रही है। कई बार युवा मनोरंजन के लिए हिंसक व्यवहार करते देखे गए हैं। किसी को सबक सिखाने के लिए किसी दूसरे को नाहक प्रताड़ित करने की भी घटनाएं सामने आ चुकी हैं। दिल्ली में एक लड़के का एक मासूम लड़की को सिर्फ इसलिए बेरहमी से पीटना कि उसका वीडियो वह अपनी महिला मित्र को भेज कर उसे प्रेम निवेदन स्वीकार करने को मजबूर कर सके, इसी की एक कड़ी है। लड़के ने अपने मित्र के दफ्तर में काम करने वाली एक लड़की को बेरहमी से पीटा और उसका वीडियो बना कर अपनी महिला मित्र को भेज दिया। साथ में यह संदेश भी भेजा कि अगर उसने उसका प्रेम निवेदन स्वीकार नहीं किया, तो वह उसके साथ भी ऐसा ही व्यवहार करेगा। वीडियो में लड़की की पिटाई के वक्त कुछ और लोग भी मौजूद थे, जो अपने फोन के कैमरे से वीडियो बना रहे थे। यह वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित हो गया और उसके आधार पर लड़के के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। इस घटना पर केंद्रीय गृहमंत्री ने भी दुख प्रकट किया है।

वीडियो में पिटाई का दृश्य दिल दहला देने वाला है। समझना मुश्किल है कि कैसे कोई व्यक्ति किसी और की अनदेखी का बदला किसी और से निकाल सकता है। मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से जाहिर है कि आज के युवा अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ भी बर्दाश्त नहीं करते। वे जो चाहते हैं, वह उन्हें किसी भी सूरत में चाहिए। यह उपभोक्तावादी संस्कृति की विकृति है। यही वजह है कि किशोर बच्चे तक अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए अपने सहपाठी या दोस्त का अपहरण कर फिरौती मांगते और न मिलने पर उसकी हत्या तक करते देखे जाने लगे हैं। किशोरों और युवाओं में बढ़ती इस प्रवृत्ति के पीछे एक बड़ा कारण टीवी, इंटरनेट, फिल्मों आदि संचार माध्यमों में लोगों की ख्वाहिशों को बढ़ाने वाले विज्ञापनों, कहानियों, घटनाओं, आपराधिक वृत्तियों को दिखाया जाना माना जा रहा है। युवाओं को उनसे सहज ही प्रेरणा मिलती है। जिस तरह दिल्ली में युवक ने मासूम लड़की को बेरहमी से पीटा, वैसे दृश्य अनेक फिल्मों में खलनायकों द्वारा अपने दुश्मनों को सबक सिखाने के लिए उसके किसी करीबी को प्रताड़ित करते दिखाए गए हैं। फिर सोशल मीडिया पर ऐसी आपराधिक घटनाओं के दृश्यों की भरमार है, जिन्हें देख कर युवाओं के मन में हिंसा के प्रति एक प्रकार की सहज वृत्ति बनती है। फिर अगर कोई युवा कानून की जकड़ से खुद को किसी भी तरह से दूर समझता है, तो उसे हिंसक व्यवहार को लेकर कोई हिचक नहीं होती।

ताजा घटना में शामिल लड़के के पिता दिल्ली पुलिस में इंस्पेक्टर हैं। जाहिर है, कहीं न कहीं उसके भीतर यह विश्वास रहा होगा कि अगर उसकी आपराधिक हरकत सामने आएगी भी, तो वह अपने रसूख के बल पर बच जाएगा। अनेक ऐसी घटनाओं, चाहे वह चंडीगढ़ में एक लड़की की कार का पीछा करने की घटना हो या फिर उसके फेसबुक पर बने दोस्त द्वारा छेड़खानी, उनके माता-पिता ने अपने प्रभाव से लड़कों को बचाने का प्रयास किया। इससे दूसरे रसूखदार परिवारों के युवाओं को अपराध करने का मनोबल बढ़ता है। इसलिए जब तक अभिभावक अपने बच्चों के अपराध पर पर्दा डालने के बजाय कानून का साथ नहीं देंगे, ऐसे किशोरों और युवाओं के मन में कानून का भय पैदा करना कठिन ही बना रहेगा।